Friday, June 17, 2022

Bareily Ka Jhumka



Newly weds Sep 9, 1972

Here is my story in response to my friend Mr SK Gupta’s WhatsApp message to me:: 

I travelled by booking a railway coupe on Sep 17, 1972 from Delhi to Kathgodam for onward journey to Nainital on my honeymoon.

We were supposed to change the train in the mid of night around 2.00 am from Bareilly rail station.
As we reached new coupe on a different platform, and settled down spreading a sheet, my wife found that one of the ear ring was missing. We tried our best to locate the lost ear ring but could not.
We sang the song ‘Jhumka Gira re Bareily ke Bazar me’ and tried to wave off the pressure of this huge loss. For those days it was bought for a princely amount. 
I promised that I will get the same from a known family Jewelers who had actually made. And further promised that no body else will ever know about the loss particularly my mother.



As promised we got that ear ring made again to our delight no body could ever know the loss till I write this.
So Barelly ka Jhumka remained in our minds, but the honeymoon carried on as if nothing had happened.

Promising to drive me through thick and thin, which she really has!

I hope you will enjoy this true story too in response to my friend Mr S K Gupta who sent me the following:

‘मेरा साया’* यह फिल्म  १९६६ में आई थी .   *'झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में...!’* इस फिल्म का एक लोकप्रिय गीत है . इस गीत में *बरेली के  बाजार में नायिका का झुमका खो गया हुआ है . मगर अब ५४ वर्ष बाद वो मिल गया है .* उस झुमके को देखने आप को  बरेली जाना होगा . 

 *बरेली यह उत्तर प्रदेश का एक शहर है.* ५४ वर्ष पूर्व  केवल इस गीत की वजह से संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गया था. 
अब *बरेली विकास प्राधिकरण ने शहर के एन एच २४ पर झीरो पॉइंट पर एक झुमका लगवाया है .  झुमके की ऊंचाई  १४ फूट है व वजन है २०० किलोग्रॅम. पितल तथा तांबे से यह  झुमका बनाया गया है , गुडगाव के  एक कारागिर  ने.  इसकी  किंमत है १८ लाख रुपये.*       
इस जगह का नाम है   *“झुमका तिराहा.”*  ५४ वर्ष बाद, सन  २०२० में  झुमके का यह स्मारक तैयार हुआ और अब एक पर्यटक  आकर्षण  का स्थान बन गया है . 
            
इस गाने के गीतकार थे *राजा मेहंदी अली खान.* गायिका *आशा*, संगीतकार – *मदन मोहन.* परदे पर  गीत सादर किया था बहारदार नृत्य के संग  *दिवंगत साधना जी ने.*
 ‘मेरा साया’ (१९६६) यह  सिनेमा मराठी फिल्म ‘पाठलाग’ (१९६४) का रीमेक था . मूल सिनेमा की कथा से  बरेली  शहर का कोई भी संबंध नही है .
 
*मगर फिर भी  बरेली गाव में झुमका गिरा यह  कहानी एकदम  सच्ची है .* और इस कहानी का संबंध सीधा  *अभिताभ बच्चन परिवार से जुड़ता है.* 
अभिताभ के पिताश्री  हरिवंशराय बच्चन और मातोश्री तेजी (  उस समय-तेजी सूरी) इन की पहली भेंट  बरेली में किसी रिश्तेदार की शादी में हुई थी . उस शादी के दौरान  एक कार्यक्रम में  हरिवंशराय जी को कोई एक कविता सुनाने का आग्रह किया गया . उन्होंने  कविता का पठन अतिशय सुंदर रीति से किया . कविता सुन कर  तेजी की आंखे भर आई,  अश्रु बहने लगे . हरिवंशराय की आंखे भी  तेजी की अवस्था देख भर आई . इस प्रथम   *कविताभेट *  का रूपांतर फिर  एक *प्रेमकथा* में हो गया. 
मगर काफी समय तक दोनो की शादी की कोई खबर नहीं आई तो दोस्त लोग पूछने लग गए . गीतकार राजा मेहंदी दोनो के अच्छे मित्र थे . उन्होंने भी  एक बार  तेजी को इस के बारे में पूछा  . तब तेजी ने उनका ध्यान भटकाने के इरादे से बोला “मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया है..!” 
 तेजी ने किया यह विधान  राजा मेहंदी के दिमाग में फिट हो गया . 

फिर जब " मेरा साया" फिल्म के गीत लिखने का समय आया तो राजा मेंहदी को तेजी के उस वाक्य की याद आई. इस ही  वाक्य पर उन्होंने संपूर्ण गीत लिख डाला . और इस गीत ने  बरेली शहर की प्रसिद्धी दिला दी .  इस लोकप्रिय गाने की याद में बरेली में  ५४ वर्ष (२०२०) बाद जो  झुमका गिरा था वह फिर से स्थापित हो गया .

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